भारत देश हजारों वर्षों पुरातन सनातन संस्कृति की सभ्यता का राष्ट्र -अपनी आत्मरक्षा के लिए शास्त्र, शस्त्र का उपयोग करना राष्ट्रधर्म
भारत देश हजारों वर्षों पुरातन सनातन संस्कृति की सभ्यता का राष्ट्र
-अपनी आत्मरक्षा के लिए शास्त्र, शस्त्र का उपयोग करना राष्ट्रधर्म
नागपुर. (आनन्दमनोहर जोशी)
लोकसेवा प्रतिष्ठान और मोहन मते मित्र परिवार के तत्वावधान में पत्रपरिषद का आयोजन महल स्थित मोहन मते निवास में किया गया.पत्रपरिषद में पत्रकारों के सवालों के जबाब में पंडित प्रदीप मिश्रा ने सनातन धर्म को दुनिया का सबसे सर्वश्रष्ठ धर्म बताया. उन्होंने कहा कि भारत में सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलकर महापुरुषों ने विजय पताका फ़हराई और देश को आत्मनिर्भर बनाया.उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म कभी भी जीव की हिंसा करने का मार्ग नहीं अपनाता. अपने प्राणों की रक्षा के लिए समय पड़नेपर शास्त्र और शस्त्र का उपयोग करना पड़ता है.
चतुर्थ दिवस की कथा पर उमडा जनसैलाब
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आज दिघोरी स्थित शिवमंडपम में कथा प्रारम्भ पर ૐ नमः शिवाय जप किया गया। कथा आरम्भ पर रामायण में प्रभु श्री राम का रघुकुल की रीति के अनुसार पिता दशरथ द्वारा दिए गए 14 वर्ष के वनवास पूर्ण करने के बाद विजय प्राप्त कर अयोध्या आगमन की खुशियां, महाभारत के दौरान हुए युद्ध से हुए संहार,अज्ञातवास के बाद शिव की शरण में मानव कल्याण जीवन का अंतिम सत्य है. उन्होंने कहा कि वैकुण्ठ में दरवाजे होते है.लेकिन भोलेशंकर,कैलाशपति के घर में द्वार नहीं होता. भगवान महादेव देवों के देव है. वे ही जीव का कल्याण करते है. पंडित मिश्रा ने वर्तमान युग की शिक्षा का उदाहरण देते बताया कि आज का शिक्षक सरकारी नौकरी करते हुए अपने संतानों को निजी स्कूल की महँगी शिक्षा देकर सरकारी नौकरी लगाने के पक्ष में रहते है.जबकि सरकारी नौकरीवाले को अपने संतान को सरकारी शालाओं में पढ़ाया जाना चाहिए.संसार विचित्र हो गया है. भक्तिमार्ग में जुड़कर शिव तत्व को जानना होगा.अपने भीतर के शिव को पहचानना होगा.आज परिवार में सदस्य अपने शरीर के कष्ट होने पर बहाना करते है. सास,बहु,ननद के बीच समन्वय नहीं है.मोबाइल ने सभी को जकड़कर रखा है . आज देश में त्योहारों के अवसर पर किये जाने वाले शमी के आदान प्रदान को भी समझना होगा. शमी का पत्ता विजयादशमी पर समर्पित किया जाता है.विजयादशमी पर शमी के पत्ते को शिवजी पर चढाने से समृद्धि आती है.अन्य कथाओं में कौत्स को निद्रा में काले दांतवाले यमदूत के स्वप्न का व्रत, पशुपतिव्रत कथा का महत्व, उदाहरण के माध्यम से गुरु चेला संवाद में गुरु द्वार शिष्य को अनार फल देने के बाद अनार के फल।से राजा के प्राण बचने पर कन्या के विवाह वृत्तान्त,आज के युग में भारत में शिव शंकराचार्य पीठ,रूद्र अवधेश्वर,कपालेश्वर के असाधारण उदाहरण के माध्यम से शिवमहापुराण का महत्त्व लाखों श्रोताओं के लिए लाभदायक रहा.उन्होंने दोहराते हुए पुनः एक लोटा जल के महत्त्व, बिना छल,कपट,वैर,भाव के शिवमहापुराण का श्रवण करने का आह्वान किया.उन्होंने आगे कहा कि जूते,छोटे कपडे और अपने स्वयं के चिर-परिचित ही कष्ट देते है.उन्ही से बचने का समय है.धन,पद,प्रतिष्ठा की पहचान से अधिक महत्त्व दिल की पहचान का ज्यादा महत्व है.इस कथा को सुनने के लिए नागो गाणार और विधायक कृष्णा खोपड़े समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.यजमान परिवार की तरफ से मोहन मते मित्र परिवार बड़ी संख्या में उपस्थित थे.अंत में महाआरती की गई.आज कथा का समय सुबह 8 से सुबह ग्यारह बजे रखा गया. जिसे टीवी पर आस्था चैनल दोपहर 2 से 5 बजे शाम तक प्रसारित करेगा.सुबह की पत्रपरिषद के दौरान दुनिया की छोटी महिला ज्योति आमगे भी पहुंची.